Justice Sanjiv Khanna: जस्टिस संजीव खन्ना को भारत का अगला मुख्य न्यायाधीश (CJI) नियुक्त किया गया है. कुछ दिनों पहले भारत के वर्तमान मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने केंद्रीय कानून मंत्रालय को पत्र लिखकर भारत के नए मुख्य न्यायाधीश के लिए उनके नाम की सिफारिश की थी. जस्टिस संजीव खन्ना 1 नवंबर से CJI का पद संभालेंगे.
केंद्रीय कानून मंत्री ने किया ऐलानकेंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने ट्वीट के जरिए भारत के अगले मुख्य न्यायाधीश के तौर पर उनके नाम का ऐलान किया. मेघवाल ने ट्वीट कर कहा, ‘भारत के संविधान द्वारा प्रदत्त शक्ति का प्रयोग करते हुए, माननीय राष्ट्रपति, भारत के माननीय मुख्य न्यायाधीश के परामर्श के बाद, भारत के सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश श्री न्यायमूर्ति संजीव खन्ना को भारत के मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त करते हुए प्रसन्न हैं. 11 नवंबर, 2024 से प्रभावी.’
जस्टिस संजीव खन्ना के बारे में
- 14 मई 1960 को जन्मे संजीव खन्ना भारत के 51वें मुख्य न्यायाधीश होंगे. उनका कार्यकाल 13 मई 2025 तक लगभग 7 महीने का होगा.
- जस्टिस खन्ना को 18 जनवरी 2019 को दिल्ली हाईकोर्ट से सुप्रीम कोर्ट में पदोन्नत किया गया था.
- उन्होंने 1983 में दिल्ली बार काउंसिल में एक वकील के रूप में नामांकन करके अपने कानूनी करियर की शुरुआत की थी. इसके बाद उन्होंने तीस हजारी जिला न्यायालयों और दिल्ली हाईकोर्ट सहित विभिन्न अदालतों में संवैधानिक कानून, टैक्सेशन, मध्यस्थता आदि में विशेषज्ञता हासिल की.
- उनकी कानूनी यात्रा 2004 में दिल्ली में आयकर विभाग के लिए वरिष्ठ स्थाई वकील और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली के लिए स्थाई वकील (सिविल) के तौर पर बनने के साथ शुरू हुई.
- 2005 में उन्हें दिल्ली हाई कोर्ट के अतिरिक्त जज के तौर पर नियुक्त किया गया. साल 2006 में वह दिल्ली हाईकोर्ट के स्थाई जज बन गए. अपने कार्यकाल के दौरान जस्टिस खन्ना ने दिल्ली न्यायिक एकेडमी और दिल्ली अंतराष्ट्रीय मध्यस्थता केंद्र सहित कई कानूनी निकायों की अध्यक्षता की. 18 जनवरी 2019 को उन्हें उन्हें सुप्रीम कोर्ट में पदोन्नत किया गया.
जस्टिस खन्ना के कुछ ऐतिहासिक फैसले
इसके अलावा 2019 में उन्होंने ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए कहा था कि भारत के मुख्य न्यायाधीश का कार्यकालय आरटीआई अनुरोधों के अधीन हो सकता है जो न्यायिक पारदर्शिता और गोपनीयता के बीच संतुलन को उजागर करता है.
अपने अब तक के कार्यकाल में जस्टिस खन्ना कने कई ऐतिहासिक फैसले सुना. 2024 में उन्होंने एक डिवीजन बेंच का नेतृत्व किया जिसने भारत के चुनाव आयोग द्वारा मौजूदा सुरक्षा उपायों का हवाला देते हुए वोटों को 100% VVPAT सत्यापन के लिए एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स की याचिका को खारिज कर दिया था.
इसके अलावा उन्होंने इलेक्टोरल बॉन्ड योजना को असंवैधानिक घोषित कराने में भी अपनी अहम भूमिका निभाई थी. उन्होंने तर्क दिया था कि यह योजना सूचना के अधिकार कानून का उल्लंघन करती है.
इसके अलावा जस्टिस खन्ना साल 2023 में उन पांच जजों की बेंच का हिस्सा थे जिसने अनुच्छेद 370 को निरस्त करने को बरकरार रखा था. उन्होंने कहा था कि अनुच्छेद 370 विषम संघवाद का प्रतिनिधित्व करता है और इसके हटने से भारत के संघीय ढांचे पर कोई असर नहीं पड़ा.