नई दिल्ली। वैदिक पंचांग के अनुसार, आज यानी गुरुवार 02 जनवरी को पौष माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि है। गुरुवार का दिन भगवान विष्णु को समर्पित होता है। अतः प्रातः काल से मंदिरों में लक्ष्मी नारायण जी की पूजा की जा रही है। विवाहित महिलाएं एवं कुंवारी लड़कियां मनोवांछित फल की प्राप्ति के लिए गुरुवार का व्रत कर रही हैं। इस व्रत को करने से साधक की हर मनोकामना पूरी होती है। साथ ही सुख एवं सौभाग्य में वृद्धि होती है। पौष माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि पर हर्षण एवं रवि योग का संयोग बन रहा है। इन योग में भगवान विष्णु की पूजा करने से साधक की सभी मनोकामनाएं पूरी होंगी। साथ ही घर में सुख, समृद्धि एवं खुशहाली आएगी।
आज का पंचांग
सूर्योदय – सुबह 07 बजकर 14 मिनट पर
सूर्यास्त – शाम 05 बजकर 36 मिनट पर
चंद्रोदय- रात 09 बजकर 16 मिनट पर
चंद्रास्त- शाम 08 बजकर 04 मिनट पर
शुभ समय
ब्रह्म मुहूर्त – सुबह 05 बजकर 25 मिनट से 06 बजकर 20 मिनट तकविजय मुहूर्त – दोपहर 02 बजकर 09 मिनट से 02 बजकर 50 मिनट तकगोधूलि मुहूर्त – शाम 05 बजकर 34 मिनट से 06 बजकर 01 मिनट तकअशुभ समयराहुकाल – दोपहर 01 बजकर 43 मिनट से 03 बजकर 01 मिनट तकगुलिक काल – सुबह 09 बजकर 50 मिनट से 11 बजकर 08 मिनट तकदिशा शूल – उत्तरअश्विनी, कृत्तिका, रोहिणी, मृगशिरा, आर्द्रा, पुष्य, मघा, उत्तरा फाल्गुनी, हस्त, चित्रा, स्वाति, अनुराधा, मूल, उत्तराषाढ़ा, श्रवण, धनिष्ठा, शतभिषा, उत्तराभाद्रपद
चन्द्रबल
मेष, कर्क, सिंह, वृश्चिक, मकर, मीन
इन मंत्रो का करें जप
1. महाप्रसाद जननी, सर्व सौभाग्यवर्धिनी ।आधि व्याधि हरा नित्यं, तुलसी त्वं नमोस्तुते ।देवी त्वं निर्मिता पूर्वमर्चितासि मुनीश्वरैः !नमो नमस्ते तुलसी पापं हर हरिप्रिये।।2. तुलसी श्रीर्महालक्ष्मीर्विद्याविद्या यशस्विनी।
धर्म्या धर्मानना देवी देवीदेवमन: प्रिया ।।
लभते सुतरां भक्तिमन्ते विष्णुपदं लभेत्।
तुलसी भूर्महालक्ष्मी: पद्मिनी श्रीर्हरप्रिया ।।
3. ऊँ श्री त्रिपुराय विद्महे तुलसी पत्राय धीमहि तन्नो: तुलसी प्रचोदयात।।
वृंदा,वृन्दावनी,विश्वपुजिता,विश्वपावनी |
पुष्पसारा,नंदिनी च तुलसी,कृष्णजीवनी ।।
एत नाम अष्टकं चैव स्त्रोत्र नामार्थ संयुतम |
य:पठेत तां सम्पूज्य सोभवमेघ फलं लभेत।।
4. ॐ बृहस्पते अति यदर्यो अर्हाद् द्युमद्विभाति क्रतुमज्जनेषु ।
यद्दीदयच्दवस ऋतप्रजात तदस्मासु द्रविणं धेहि चित्रम्”।।
5. ॐ देवानां च ऋषीणां च गुरु कांचन संन्निभम्।
बुद्धिभूतं त्रिलोकेशं तं नमामि बृहस्पतिम्।।