भारत में HMPV वायरस के अब तक 9 मामले सामने आ चुके हैं. चीन से फैला ये वायरस अब दुनिया के लिए खतरा बनती जा रही है. चीन में हालात खराब है, अस्पतालों में मरीजों की भीड़ लग रही है. चीन के बाद भारत में HMPV (ह्यूमन मेटाप्न्यूमोवायरस) के मामलों में वृद्धि देखी गई है, जिससे लोग चिंतित हो गए थे. इस वायरस को लेकर अब विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने अपना पहला बयान जारी किया है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इसे एक साधारण और सामान्य वायरस बताया गया है. WHO के मुताबिक, HMPV कोई नया वायरस नहीं है, बल्कि इसे 2001 में ही पहचान लिया गया था और यह लंबे समय से लोगों के बीच मौजूद है. WHO के सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर पोस्ट के अनुसार, HMPV एक सामान्य वायरस है जो सर्दी और बसंत के मौसम में फैलता है. यह वायरस मुख्य रूप से श्वसन संबंधी समस्याओं का कारण बन सकता है, जैसे जुकाम, गले में खराश और सर्दी. हालांकि, इससे होने वाले संक्रमण अधिकतर हल्के होते हैं और ज्यादा खतरनाक नहीं होते.
HMPV क्या है?
HMPV एक वायरस है जो श्वसन तंत्र पर असर डालता है. यह वायरल संक्रमण आमतौर पर सर्दी और खांसी की स्थिति पैदा करता है और कभी-कभी इसका असर अधिक गंभीर हो सकता है, खासकर बच्चों और बुजुर्गों पर. यह वायरस एरोसोल के माध्यम से फैलता है, यानी जब कोई संक्रमित व्यक्ति खांसता या छींकता है, तो वायरस हवा में फैलता है और स्वस्थ व्यक्ति इसे सांस के जरिए अपना सकता है.
WHO की सलाह
WHO ने अपनी पोस्ट में यह भी स्पष्ट किया कि HMPV कोई नया खतरा नहीं है और यह वायरस आमतौर पर हल्के लक्षण उत्पन्न करता है. इसका इलाज भी सामान्य वायरल संक्रमण की तरह किया जा सकता है. हालांकि, WHO ने यह भी कहा कि अगर किसी व्यक्ति में इस वायरस के संक्रमण के बाद जटिलताएं उत्पन्न होती हैं, तो उन्हें चिकित्सकीय सहायता की आवश्यकता हो सकती है.
HMPV और COVID-19 के बीच अंतर
जबसे COVID-19 महामारी शुरू हुई है, तब से लोग किसी भी नए वायरस के बारे में अधिक जागरूक हो गए हैं. हालांकि HMPV और COVID-19 दोनों श्वसन तंत्र पर असर डालते हैं, लेकिन इन दोनों वायरस में बड़ा अंतर है. COVID-19 एक गंभीर महामारी का कारण बना, जबकि HMPV आमतौर पर हल्के लक्षण उत्पन्न करता है और इसके मामलों में अधिक खतरा नहीं होता.