The Sabarmati Report: गोधरा कांड जो साल 2002 में गुजरात के गोधरा रेलवे स्टेशन पर हुए साम्प्रदायिक हिंसा का परिणाम था. अब एक फिल्म ‘द साबरमती रिपोर्ट’ के माध्यम से फिर से सुर्खियों में है. यह फिल्म गोधरा कांड और उसके बाद के घटनाक्रमों पर आधारित है, जिसे लेकर पूरे देश में राजनीतिक बयानबाजी का दौर जारी है. कांग्रेस ने इस फिल्म के कंटेंट पर तीव्र आपत्ति जताई है और इसे लेकर सत्ताधारी पार्टी भाजपा पर हमला बोला है.
कांग्रेस पार्टी ने फिल्म के माध्यम से गोधरा कांड के घटनाक्रम को प्रस्तुत करने के तरीके को भाजपा की सांप्रदायिक राजनीति का हिस्सा करार दिया है. कांग्रेस ने आरोप लगाया कि इस फिल्म के जरिए भाजपा और उसके नेताओं को मुस्लिम समुदाय के खिलाफ उकसाने का प्रयास किया जा रहा है. कांग्रेस के प्रवक्ता और राज्यसभा सांसद प्रमोद तिवारी ने कहा, “रोम जल रहा है, नीरो बांसुरी बजा रहा है.”
कांग्रेस ने कहा- विशेष एजेंडा
दरअसल, कांग्रेस का आरोप है कि देश में गंभीर मुद्दों पर ध्यान देने की जरूरत है, भाजपा और उसकी सरकार अपनी राजनीति में व्यस्त हैं और नफरत की आग को और भड़काने में लगी हैं. कांग्रेस ने यह भी कहा कि फिल्म के निर्माता और निर्देशक को गोधरा कांड के असली पीड़ितों की पीड़ा और उनके दर्द का कोई ख्याल नहीं है. बल्कि, फिल्म के माध्यम से केवल राजनीति की जा रही है और उसे एक विशेष एजेंडे के तहत प्रस्तुत किया जा रहा है. पार्टी ने यह आरोप भी लगाया कि यह फिल्म गोधरा कांड के बाद के दंगों को सही ठहराने का प्रयास कर रही है, जबकि सच्चाई यह है कि उन दंगों में कई निर्दोष लोग मारे गए थे और समाज में गहरी दरारें पड़ी थीं.
‘द साबरमती रिपोर्ट’ पर अमित शाह ने क्या कहा?
‘द साबरमती रिपोर्ट’ फिल्म को भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद अपने सहयोगी सांसदों के साथ देखी. इसके साथ उन्होंने फिल्म की सराहना की है. गृहमंत्री अमित शाह ने एक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा, ‘द साबरमती रिपोर्ट’ फिल्म ने देशवासियों को गोधरा के सच से परिचित कराया. इस फिल्म के माध्यम से लोगों को पता चल रहा है कि कैसे एक इकोसिस्टम ने इतने बड़े सच को सालों तक देश से छिपा कर रखा. आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी और NDA के सांसदों के साथ यह फिल्म देखी. इस प्रशंसनीय प्रयास के लिए ‘द साबरमती रिपोर्ट’ फिल्म की पूरी टीम को बधाई.
फिल्म के समर्थकों का कहना है कि यह एक ऐतिहासिक और सत्य घटना पर आधारित फिल्म है, जिसे दिखाना जरूरी था. फिल्म के निर्माता और निर्देशक ने भी इस पर सफाई दी है कि उन्होंने कोई भी पक्षपाती दृष्टिकोण नहीं अपनाया है, बल्कि उन्होंने गोधरा कांड और उसके बाद के घटनाक्रमों को तथ्यात्मक रूप से दर्शाया है.