पौष पूर्णिमा इस बार सोमवार को पड़ने वाली जो बेहद खास है, सोमवार चन्द्र ग्रह का दिन है और चन्द्रमा पूर्णिमा तिथि को अपनी सभी कलाओं से युक्त होकर सोम तत्व का जल में सृजन करेगा। महाकुम्भ 2025 का इसी शुभ तिथि मुहूर्त से शुभारम्भ है। पौष पूर्णिमा पर्व का विशेष महत्व शास्त्रों में वर्णित है,इस दिन से माघ मास के पवित्र स्नान का शुभारम्भ होता है।
बारह साल बाद महाकुंभ का प्रारंभ प्रयागराज में इस तिथि से हो रहा है। महाकंभ में दूर-दराज से आए हुए अधिकांश श्रद्धालु माघ मास में पौष पूर्णिमा से संगम तट पर निवास कर एक महीने का कल्पवास व्रत प्रारंभ करेंगे। धर्मशास्त्रों में पौष माह की पूर्णिमा को स्नान-दान का विशेष महत्व वर्णित है, जो व्यक्ति पूरे माघ मास के लिए स्नान का व्रत धारण करते हैं वह अपने स्नान का प्रारंभ पौष पूर्णिमा से शुरू कर माघी पूर्णिमा को समापन करते हैं। इस दिन स्नान के पश्चात मधुसूदन भगवान की पूजा-आराधना कर उन्हें प्रसन्न करने का प्रयत्न किया जाता है, जिससे मधुसूदन की कृपा से मृत्योपरान्त भक्त को स्वर्ग में स्थान मिल सके, ऐसी धार्मिक मान्यताएँ हैं।
इस दिन सूर्योदय के पूर्व स्नानादि करके भगवान मधुसूदन की पूजा आराधना करना एवं उनके पश्चात् ब्राह्मणों को भोजन करवाना और दान देना शुभ और कल्याणकारी माना जाता है। इस दिन सायंकाल सत्यनारायण भगवान की कथा भी होती है। धर्मशास्त्रों के अनुसार जो इस स्नान को करता है वह दिव्य-विमान में बैठकर विहार करने के योग्य हो जाता है। इस स्नान का पुण्य अर्जित करने वाले पुण्यात्मा स्वर्ग में वास करते हैं, ऐसा हिंदू धर्म ग्रंथों में वर्णित है। संगम के पवित्र जल में प्राणदायिनी शक्ति विद्यमान है।
पौष पूर्णिमा के सुअवसर पर ग्रह नक्षत्रों की विशेष स्थिति, चन्द्र आदि ग्रहों के माध्यम से अमृत वर्षा कर स्नान आदि करने वालों को निरोगी काया सहित पुण्य लाभ प्रदान करती है। सौ हजार गायों का दान करने का जो फल होता है, उससे अधिक पुण्य फल तीर्थराज प्रयाग में महाकुंभ के दौरान माघ मास में तीस दिन (एक मास) स्नान करने का होता है। माघ मास में स्नान, दान, उपवास व भगवान माधव की पूजा अत्यंत फलदायी बताई गई है।