बिलासपुर : आजकल महिला एवं बाल विकास विभाग, रायपुर सुर्खियां बटोर रहा है। इस विभाग के किस्से या बोला जाये तो विभाग की लापरवाही एक एक कर सामने आ रही है। महिला एवं बाल विकास विभाग, रायपुर के अंतर्गत बाल संरक्षण इकाई में संविदा में काम कर रहे लगभग 35 संविदा कर्मचारियों की संविदा अवधि मार्च 2023 तक कलेक्टर रायपुर द्वारा अपने आदेश दिनांक 19.10.2022 के माध्यम से बढ़ायी गयी है। इसमें विचारणीय विषय यह है कि जब विभाग द्वारा संचालित एक सरकारी बालिका गृह की एक महिला कर्मचारी जिसने जुलाई 2022 में ही अपना त्यागपत्र दे दिया है तो विभाग द्वारा काम छोड़ चुकी उस महिला कर्मचारी की संविदा सेवा अवधि मार्च 2023 तक कैसे बढ़ाई जा सकती है।
तत्कालीन प्रभारी जिला कार्यक्रम अधिकारी सुश्री शैल ठाकुर ने काम छोड़ चुकी महिला कर्मचारी की भी संविदा अवधि मार्च 2023 तक आगे बढ़ाने के लिए कलेक्टर को पूरी जानकारी ना देते हुये आदेश में कलेक्टर से ही हस्ताक्षर करवा लिये है। इस बात में संदेह से भी इंकार नहीं किया जा सकता कि तत्कालीन प्रभारी जिला कार्यक्रम अधिकारी द्वारा काम छोड़ चुकी महिला कर्मचारी के नाम से वेतन का आहरण भी किया जा रहा होगा। प्राप्त जानकारी अनुसार विभाग की तत्कालीन प्रभारी महिला अधिकारी लाखों रुपये के गबन के केस में अग्रिम जमानत पर चल रही है। उसके बाद भी इन्हें राजधानी रायपुर में विभाग द्वारा जिला कार्यक्रम अधिकारी जैसे बड़े पद का प्रभार दिया जाना भी संदेह उत्पन्न करता है। क्या विभाग के पास उच्च अधिकारियों की कमी है। यह भी जांच का विषय है।
वहीँ बता दें कि शैल ठाकुर द्वारा कुछ दिन पहले ही 09 संविदा कर्मचारियों कि सेवा समाप्ति की कार्यवाही भी गयी थी। जिसमें कलेक्टर रायपुर का अनुमोदन होने का उल्लेख इनके द्वारा किया गया था। अब इन 09 संविदा कर्मियों की बर्खास्तगी की कार्यवाही भी संदेह के दायरे में आती प्रतीत हो रही है।