भारत में ‘रहस्य’ और ‘माया’ की बात बिना अघोरियों के हो नहीं सकती है . मानव योनी में जीवन प्राप्ति के बाद भी एक अज्ञात जिंदगी के अनुसरणकर्ता कहलाए जाते हैं ये ‘अघोरी साधु’ . इनका उठना-बैठना, खान-पान यहां तक कि विचार आम इंसान से काफी भिन्न होते हैं .इस खास हिन्दू संप्रदाय का अंकुरण पौराणिक काल से बताया जाता है .इन्हें हिन्दू धर्म के अंतर्गत अघोर पंथ का माना गया है .जिनका संबंध भगवान शिव से ज्यादा रहा है .देखा जाए तो अघोरी हमेशा से ही खास चर्चा का विषय रहे हैं .
जानिए इन अघोरियों की रहस्यमयी दुनिया से जुड़े और भी कई दिलचस्प तथ्य और वर्तमान में उनके विशेष ठिकानों के बारे में..
अघोरी साधु मुख्यत : अपने अद्भुत शारीरिक आवरण और कठोर तप-साधना के लिए जाने जाते हैं . इनमें आम इंसान से भी कई गुणा क्षमता और ताकत होती है . ये ज्यादातर नग्न अवस्था में रहते हैं और पूरे शरीर पर इंसानी शवों की भस्म लगाते हैं . जो इनकी खास पहचान है . अघोरी तीन तरह की गुप्त साधनाएं करते हैं, जिनमें शिव साधना, श्मशान साधना और शव साधना शामिल है .ये ज्यादातर अपना अड्डा श्मशान घाटों में लगाते हैं .
माना जाता है कि ये गौमांस के अलावा हर किसी जीव का मांस खाते हैं, हालांकि इस विषय की सच्चाई भी इनकी ही तरह रहय्य से जुड़ी है .
हिन्दू धर्म में 5 साल से कम उम्र के बच्चों के शवों को जलाने के बजाय उन्हें या तो दफना दिया जाता है या फिर गंगा जल में प्रवाहित कर दिया जाता है .माना जाता है कि ये अघोरी इन बच्चों के शवों को अपना निशाना बनाते हैं, जिनका प्रयोग ये अपनी गुप्त तंत्र-साधना में करते हैं .
आगे जानिए वर्तमान में इनके खास ठिकाने ..
बंगाल का तारापीठ : यह स्थान तारा देवी के लिए प्रसिद्ध है . यहां मां काली की विशाल प्रतिमा भी स्थापित है .यह मंदिर श्माशान घाट (महाश्मशान घाट) के नजदीक स्थित है .कहा जाता है कि इस मसान की अग्नी कभी शांत नहीं पड़ती . रात में यह श्मशान घाट अघोरियां की गुप्त साधनाओं का विशेष ठिकाना बन जाता है .
काशी का मणिकर्णिका घाट : बनारस के मणिकर्मिका घाट को महाश्मशान का दर्जा प्राप्त है . जहां की चिताओं की आग कभी ठंडी नहीं पड़ती है .सुबह से लेकर रातभर यहां अंतिम संस्कार का सिलसिला जारी रहता है . और जहां श्मशान घाट वहां अघोरियों का होना अनिवार्य है . वैसे देखा जाए तो काशी इन अघोरियों का विशेष स्थान माना जाता है, जिसका मुख्य कारण यहां स्थित बाबा विश्वनाथ का मंदिर और और गंगा के 84 घाट . जिनमें से अधिकतक रात क दौरान इन अघोरी-तांत्रिकों की गुप्त साधनाओं का विशेष स्थान बन जाते हैं .