दुर्ग। महिला आयोग की पहल पर एक महिला को न्याय मिला। दरअसल, मृत्यु भोज में पारंपरिक भोजन के स्थान पर कलेवा खिलाए जाने पर समाज ने पीड़ित महिला को न केवल समाज से बाहर कर दिया बल्कि उस पर 17 हजार का अर्थदंड भी लगा दिया। अर्थदंड की राशि का 5 हजार की पावती भी दी।
अब महिला आयोग की पहल पर 24 घंटे के भीतर समाज वाले महिला से ली गई राशि वापस करेंगे। साथ ही उसे समाज में मिलने का प्रक्रिया भी शुरू करेंगे। इस तरह बहिष्कार का दंश झेल रही महिला को आयोग ने राहत दिलाई।
मृत्युभोज में कवेला खिलाने के मामले में आयोग की अध्यक्ष ने समाज के लोगों को पहले समझाया। वेदिका को 17 हजार रुपए वापिस करने के साथ सामाजिक बहिष्कार के निर्णय को भी वापस लेने को कहा। साथ ही प्रार्थी महिला को उसके अधिकारों की जानकारी दी। समाज उन्हें वापस नहीं लेता है तो पुन: आयोग में आने का विकल्प उसके पास है। समाज के लोगों ने आयोग की समझाइश और निर्णय का पालन करते हुए 24 घंटे के भीतर पीड़िता को 17 हजार रुपए वापिस करने की सहमति दी।
महिला आयोग ने महिलाओं की समस्या के निवारण के लिए शुक्रवार को जनसुनवाई की। दुर्ग जिले में आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक की 6वीं जनसुनवाई में सुलझाने के लिए कुल 30 प्रकरण रखे गए थे। इसमें से 11 प्रकरण नस्तीबद्ध किए गए। 4 प्रकरणों को आयोग के रायपुर स्थित दफ्तर में स्थानांतरित किया गया। अन्य प्रकरणों की सुनवाई आयोग की अगली जनसुनवाई में की जाएगी। जनसुनवाई के दौरान पहली पत्नी के रहते दूसरी पत्नी रखने, समाज की ओर से अनावश्यक अर्थदंड देने समेत अन्य प्रकरणों को भी सुलझाया गया।