National Epilepsy Day 2022: मुंह से झाग निकलना, चक्कर आना, शरीर में जकड़न और बेहोशी जैसे लक्षण मिर्गी की ओर इशारा करते हैं. मिर्गी ब्रेन से जुड़ा एक क्रोनिक रोग है, जिसमें व्यक्ति को दौरे पड़ते हैं. ब्रेन की सेल्स में अचानक और असामान्य रूप से केमिकल रिएक्शन होने के कारण दौरा पड़ने लगता है, जिस वजह से व्यक्ति बेहोश भी हो सकता है.
मिर्गी रोग किसी को भी हो सकता है. यदि समय रहते इसका इलाज कराया जाए तो इससे छुटकारा पाया जा सकता है. लेकिन अभी भी भारत में कई ऐसे क्षेत्र हैं जहां मिर्गी को तंत्रमंत्र और जादू टोने से ठीक करने की कोशिश की जाती है. जागरूकता की कमी के कारण लगभग तीन चौथाई लोग आवश्यक ट्रीटमेंट से वंचित हैं. लोगों की सोच को बदलने और रोग के प्रति जागरूक करने हेतु हर वर्ष 17 नवंबर को ‘नेशनल एपिलेप्सी डे’ मनाया जाता है.
नेशनल एपिलेप्सी डे मनाने का मुख्य उद्देश्य लोगों को मिर्गी से संबंधित उपचार के बारे में जानकारी देना है. साथ ही कस्बों और गांवों में इस दिन लोगों को जरूरी दवाइयां वितरित की जाती हैं.– डब्ल्यूएचओ के माध्यम से मिर्गी के मरीजों को शराब या अन्य मादक पदार्थों से दूर रहने की सलाह दी जाती है, ताकि इस बीमारी का सही ढंग से इलाज किया जा सके.– कई नुक्कड़ नाटकों द्वारा लोगों को जागरूक करने का प्रयास किया जाता है.
दस साल में 242 कैंप, किया जागरूक
न्यूरोलॉजी विभाग की ओर से वाराणसी के साथ ही मिर्जापुर, सोनभद्र, चंदौली आदि जिलों में दस साल में 242 कैंप लगाए गए हैं। कैंपों में पता चला कि औराई में बंदर के बच्चे को गोद में देने से, वाराणसी में शमशान में चिता में रोटी सेंकने से और मिर्जापुर में खटमल खिलाकर मिर्गी दूर करने का अंधविश्वास है।