Kurla Bus Accident: मुंबई के कुर्ला इलाके में सोमवार की रात एक बड़ी बस दुर्घटना घटी, जिसमें 7 लोगों की मौत हो गई. वहीं 42 लोग घायल हो गए. इनमें से कुछ घायलों की हालत गंभीर बताई जा रही है. हालांकि मुंबई पुलिस इस मामले की जांच में जुटी है. शुरुआती जांच में बस के ड्राइवर के खिलाफ कुछ गंभीर सबूत मिले हैं. जिसमें यह बताया गया कि बस ड्राइवर को बस चलाना नहीं आता था. वो एक कार चालक था, लेकिन फिर भी वो मुबंई की सड़को पर बस लेकर निकल गया.
मुंबई पुलिस ने मंगलवार को अदालत से इलेक्ट्रिक बस के चालक की हिरासत मांगी है. जिसने कुर्ला पश्चिम में सात लोगों को कुचल दिया और 42 अन्य को घायल कर दिया. पुलिस ने कहा कि अभी इस मामले की जांच की जा रही है. जिसमें पता लगाया जा रहा है कि क्या बस ड्राइवर ने यह कृत्य जानबूझकर किया था और वाहन का इस्तेमाल हथियार के रूप में किया था.
21 दिसंबर तक हिरासत में ड्राइवर
मुंबई पुलिस की दलीलों को स्वीकार करते हुए अदालत ने संजय मोरे (बस ड्राइवर) को 21 दिसंबर तक उनकी हिरासत में भेज दिया गया है. कथित तौर पर विवरण सामने आए हैं कि संजय मोरे को इलेक्ट्रिक वाहन चलाने का कोई अनुभव नहीं था और उन्होंने ईवी चलाने के लिए केवल 10-दिवसीय प्रशिक्षण लिया था. जिसके बाद वो मुंबई सड़कों पर बस लेकर निकल पड़े. पुलिस ने अदालत को कहा कि यह जांच करना ज़रूरी है कि क्या संजय मोरे ने बस चलाने की ट्रेनिंग ली थी और कहीं वो दुर्घटना के समय नशे में तो नहीं था.
पुलिस ने कहा कि परिवहन विभाग ने दुर्घटना में शामिल बस की अभी तक जांच नहीं की है. हालांकि आरोपी के वकील समाधान सुलाने ने कहा कि दुर्घटना बस में तकनीकी खराबी के कारण हुई हो सकती है. वकील ने तर्क दिया कि ड्राइवरों को वाहन सौंपने से पहले उसकी पूरी तरह से जांच करना प्रशासन की ज़िम्मेदारी है. दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अदालत ने मोरे को 21 दिसंबर तक पुलिस हिरासत में भेज दिया.
बस की हो रही फोरेंसिक जांच
बस दुर्घटना के आरोपी संजय मोरे ने पुलिस को बताया कि उसने 1 दिसंबर से ही बेस्ट की इलेक्ट्रिक बसें चलाना शुरू किया था. उससे पहले वह मिनी बसें और कार चलाता था. मोरे पुलिस द्वारा पूछताछ के दौरान मानसिक रूप से सचेत पाया गया. साथ ही प्राथमिक चिकित्सा रिपोर्ट से पता चला कि वह शराब के नशे में भी नहीं था. हैदराबाद स्थित ओलेक्ट्रा ग्रीनटेक द्वारा निर्मित 12 मीटर लंबी बस की फोरेंसिक विज्ञान विशेषज्ञों और क्षेत्रीय परिवहन अधिकारियों द्वारा जांच की गई ताकि यह पता लगाया जा सके कि क्या इसमें कोई यांत्रिक खराबी थी जिसके कारण यह दुर्घटना हुई.