नई दिल्ली। अखिल भारतीय आर्युविज्ञान संस्थान (AIIMS) में हुए साइबर अटैक के बाद संस्थान में लगे हर कंप्यूटर को फॉर्मेट किया जा रहा है। एम्स प्रशासन ने सभी विभागाध्यक्षों व सभी सेंटरों के प्रमुख को आदेश दिया है कि वे कंप्यूटर से बैकअप डाटा अलग हार्ड डिस्क में रख लें। इस सप्ताह सभी कंप्यूटर को फॉर्मेट कर लिया जाएगा। बता दें कि एम्स के कंप्यूटर्स पर रैनसमवेयर नाम का साइबर अटैक हुआ था। एम्स में करीब 5 हजार कंप्यूटर सिस्टम और 50 सर्वर हैं।
सर्वर हैक करने के 6 दिन बाद आखिरकार हैकर्स ने मंशा जाहिर कर दी है। हैकर्स ने सर्वर रिलीज करने के बदले 200 करोड़ रुपये की फिरौती मांगी है। हैकर्स यह पैसा भारतीय करेंसी या अमेरिकी डॉलर्स में नहीं बल्कि वर्चुअल क्रिप्टोकरेंसी में लेना चाहते हैं, ताकि उन्हें ट्रेस नहीं किया जा सके। दिल्ली पुलिस और CERT-IN के एक्सपर्ट्स के साथ ही इंटेलिजेंस फ्यूजन एंड स्ट्रेटेजिक ऑपरेशंस (IFSO) डिविजन ने इस मामले में फिरौती का मुकदमा दर्ज कर लिया है।
रैनसमवेयर अटैक के बाद ही सर्वर व कंप्यूटर को स्कैन करने का काम शुरू कर दिया गया था। 23 नवंबर से एम्स दिल्ली में ऑनलाइन सर्विसेज बाधित है। तमाम सर्विसेज ऑफलाइन ( मैनुअल) मोड में है। ऐसे में मैनुअल मोड में काम को वाले कर्मचारियों की तादाद भी बढ़ाई गई है, ताकि इलाज के लिए दूर-दूर से आ रहे मरीजों को दिक्कत न हो।
दिल्ली एम्स का सर्वर 23 नवंबर की सुबह 6.45 मिनट पर हैक किया गया था। सबसे पहले इमरजेंसी लैब के कंप्यूटर सेंटर में यह बात पकड़ में आई। इसके बाद धीरे-धीरे अस्पताल के पूरे कंप्यूटराइज्ड सिस्टम का सर्वर ही रैनसमवेयर अटैक के जरिये हैकर्स ने अपने कब्जे में कर लिया। इसके बाद से सर्वर की सफाई कर उसे हैकर्स के चंगुल से छुड़ाने की कोशिश की जा रही है। एकतरफ दिल्ली पुलिस इस हैकिंग की जांच कर रही है तो दूसरी तरफ, इंडिया कंप्यूटर इमरजेंसी टीम (CERT-IN) के एक्सपर्ट्स ऑनलाइन तरीके से हैकर्स से निपटने की कोशिश कर रहे हैं। एम्स में प्रति साल 38 लाख मरीज इलाज करवाते हैं। इस साइबर अटैक से मरीजों की डाटा चोरी होने की आशंका है।