रायपुर। छत्तीसगढ़ में आरक्षण संशोधन विधेयक का मुद्दा गरमाया हुआ है। आरक्षण मुद्दे को लेकर राज्य सरकार और राजभवन के बीच टकराव जारी है। वहीं इस बीच आरक्षण बिल में हस्ताक्षर पर हो रही देरी को लेकर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने तीखी नाराजगी जताई है। सीएम बघेल ने राज्यपाल ने पहले 10 सवाल भेजे थे, जो उनके अधिकार क्षेत्र में नहीं था, बावजूद प्रदेश के युवाओं के हित में हमने जवाब भेजवाया, अब नया दांव चला जा रहा है कि उसका परीक्षण किया जायेगा। तो क्या विधिक सलाहकार विधानसभा से भी बड़े हो गये हैं। विधानसभा में जो पास हो गया, उसका भी परीक्षण करायेंगे अब?
कांग्रेस मुख्यालय राजीव भवन में सोमवार को विस्तारित कांग्रेस कार्यकारिणी की हुई बैठक में आरक्षण को लेकर भी लंबी चर्चा हुई। बैठक में निर्णय लिया गया है कि आरक्षण संसोधन विधेयक को लेकर 3 जनवरी को कांग्रेस महारैली करेगी। प्रदेश प्रभारी कुमारी सैलजा की अध्यक्षता में हुई बैठक में आरक्षण में हो रही देरी और कांग्रेस की रणनीति को लेकर लंबी चर्चा हुई।
इस बैठक के बाद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने मीडिया से चर्चा करते हुए आरक्षण मामले पर कहा कि जिस प्रकार से राज्यपाल लगातार टालने का बहाना ढूंढ रही है। सीएम ने कहा विधानसभा का जो अधिकार है, विधानसभा में सर्वसम्मति से जो आरक्षण का बिल पारित हुआ है, राज्यपाल का विधिक सलाहकार, वह विधानसभा से बड़ा हो गया है, इसपर मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि किस प्रकार से वैधानिक संस्थाओं को कमजोर करने या नीचे दिखाने की कोशिश की जा रही है यह जीता जागता उदाहरण है।
सीएम भूपेश बघेल ने कहा कि सारे अधिकारी मेरे इस बात के विरोध में थे कि राज्यपाल ने जो 10 सवाल भेजे हैं कि उसका जवाब देना है क्योंकि संविधान में ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है फिर भी मैंने राज्यपाल की जिद को ध्यान में रखते हुए छत्तीसगढ़ के पौने तीन करोड़ जनता के हित में लागू हो जाए और इनका इगो सेटिस्फाई हो जाए इसलिए मैंने जवाब दिया। लेकिन अब फिर से वह बहाना ढूंढ रही है कि परीक्षण कराऊंगी। मतलब विधानसभा से बड़ा हो गया विधिक सलाहकार? हम तो विधिक सलाहकार को पकड़ लेते फिर, जो विधानसभा से बड़ा हो गया है। यदि परीक्षण करना है तो वह कोर्ट परीक्षण करती है। वह काम अब विधिक सलाहकार करेगा और इसी कारण से विधेयक रुक रहा है, यह बेहद दुर्भाग्य जनक है।