अनमोल तिवारी, रायपुर | चुनाव का माहौल बनते ही राजनीतिक गलियारों में हलचल तेज होने लगती है।इस बार हलचल गुजरात से है। गुजरात विधानसभा चुनाव के तारीखों का एलान होने में कुछ ही दिनों का वक़्त रह गया है,ऐसे में राज्य सरकार ने अपने अंतिम कैबिनेट की बैठक में यूनिफार्म सिविल कोड को लेकर बड़ा फैसला लिया हैं। मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल की अध्यक्षता में कैबिनेट ने राज्य में यूनिफार्म सिविल कोड(UCC) लागू करने हेतु कमिटी बनाने के निर्देश जारी किए हैं। सरकार के फैसले लेते ही राजनीतिक घमासान भी शुरू हो गया है।पूरा मामला विस्तार से समझेंगे। पहले जानते है यूनिफार्म सिविल कोड के बारें में।क्या होता है UCC?
क्या होता है UCC?
यूनिफार्म सिविल कोड(UCC) का मतलब समान नागरिक संहिता होता है।यह एक ऐसा कानून होता है जो किसी भी देश या राज्य के सभी नागरिकों के लिए एक समान होता है फिर चाहे वह किसी भी धर्म,जाती या समुदाय का हो। इससे सभी धर्म के लोग समान रूप से प्रभावित होते हैं ।
UCC के तहत शादी-विवाह,तलाक,संपत्ति बटवारे,बच्चा गोद लेने तक सभी धर्मों के लोगों के लिए कानून एक समान होंगे।दुनिया के कई देशों में UCC लागू हैं जिसमें भारत के पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान,बांग्लादेश जैसे देश भी शामिल हैं।इनके अलावा इंडोनेशिया,तुर्की, सूडान,इजिप्ट जैसे देश भी है जहां यूनिफार्म सिविल कोड पहले से लागू है।भारत में भी UCC लागू करने को लेकर लंबे समय से चर्चा होती आ रही है, लेकिन जब भी किसी राज्य में इसे लागू करने की हलचल तेज होती है तो इसका विरोध होना शुरू हो जाता है। UCC लागू करने हेतु बनेगी कमिटीगुजरात चुनाव सर पर हैं ऐसे में शनिवार को राज्य के गृह मंत्री हर्ष संघवी ने घोषणा करते हुए कहा कि राज्य में UCC लागू करने हेतु कमिटी बनाने का फ़ैसला हुआ है जो की ऐतेहासिक है।केंद्रीय मंत्री पुरुषोत्तम रुपाला ने ट्वीट कर बताया की कमिटी के अध्यक्ष हाई कोर्ट के सेवानिवृत्त जज होंगे और इसमें 3-4 सदस्य होंगे।
इससे पहले उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश की सरकारें भी UCC को लागू करने की घोषणा कर चुकी हैं।वहीं देश का एक मात्र ऐसा राज्य गोआ हैं जहां UCC पहले से ही लागू है।वर्ष 1961 में गोआ में यूनिफार्म सिविल कोड लागू हुआ था।गुजरात विधानसभा चुनाव से ठीक पहले इस फैसले को भाजपा का मास्टरस्ट्रोक बताया जा रहा है।क्यों जरूरी है UCC?जानकार बताते है कि अलग-अलग धर्मों के अपने कानून होने से न्यायपालिका पर बोझ पड़ता है,सिविल कोड आने से इस समस्या से निजात मिलेगा और अदालतों में वर्षो से लंबित मामलों के निपटारे जल्द हो पाएंगे।समान नागरिकता संहिता का मतलब है कि हर धर्म के पर्सनल लॉ में एकरूपता लाना।वर्तमान हालात में देश में अलग-अलग धर्मो के लिए अलग-अलग पर्सनल लॉ है।जैसे हिंदुओं के लिए हिन्दू एक्ट और मुस्लिमों के लिए मुस्लिम पर्सनल लॉ। यूनिफार्म सिविल कोड लागू होने के बाद हर मज़हब के लिए एक कानून हो जाएगा जो निष्पक्ष कानून होगा और किसी भी धर्म से जुड़ा नहीं होगा।
जानकर यह भी कहते है कि इस कानून के आने के बाद सामाजिक एकता को बढ़ावा मिलेगा जिससे देश की विकास की गति भी तेज होगी।क्यों हो रहा UCC का विरोध?सत्ताधारी पार्टी भाजपा यूनिफार्म सिविल कोड को लोगों के हित में बता रही है और भारत जैसे धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र में सभी धर्म के नागरिकों के लिए एक समान कानून होने की बात कर रही हैं।
जानकारी के अनुसार 2019 लोकसभा चुनाव के वक़्त भाजपा ने अपने घोषणापत्र में भी यूनिफार्म सिविल कोड को स्थान दिया था।तो वहीं इस मुद्दे पर विपक्षी दल लगातार हमलावर है और आरोप लगा रहे है कि भाजपा चुनाव से ठीक पहले ध्रुवीकरण करने की कोशिश कर रही है जो भाजपा की पुरानी आदत हैं।पूरे मामले में मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने भी बड़ी आपत्ति जताई है जिसका मानना है कि यह सभी धर्मों पर हिन्दू कानून लागू करने जैसा हैं यदि इसे लागू कर दिया गया तो उनके अधिकारों का हनन होगा।मुस्लिम पर्सनल लॉ के मुताबिक, मुसलमानों को तीन शादियां करने का अधिकार है, जो UCC के बाद नहीं रहेगा। वह अपनी शरीयत के हिसाब से जायदाद का बंटवारा नहीं कर सकेंगे, बल्कि उन्हें कॉमन कानून का पालन करना पड़ेगा।