छत्तीसगढ़ में 240 करोड़ रुपये से ज्यादा के चावल घोटाले का मामला सामने आया है। जांच में यह खुलासा हुआ है कि जिन राशन दुकानों को चावल की कमी पूरी करने के लिए आदेश दिए गए थे, उन्होंने सरकारी राशन की जगह बाजार से घटिया और सस्ता चावल खरीदकर उसे जमा कर लिया। इतना ही नहीं, खाद्य निरीक्षकों ने भी अपनी जिम्मेदारी का दुरुपयोग करते हुए इस चावल की आपूर्ति की एंट्री भी करवा दी। यह घोटाला छत्तीसगढ़ में सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) के नियमों को नजरअंदाज करके किया गया था।यह घोटाला पूर्ववर्ती सरकार के दौरान हुआ था।
खाद्य विभाग के अधिकारियों के अनुसार, सार्वजनिक वितरण प्रणाली नियंत्रण आदेश 2016 के तहत राशन दुकानदारों को चावल खरीदने के लिए केवल नागरिक आपूर्ति निगम से ही आपूर्ति की अनुमति थी, लेकिन नियमों को उल्लंघन करते हुए दुकानदारों ने चावल बाजार से खरीदी। इसके अलावा, विभागीय अधिकारियों के मुताबिक, खाद्य संचालनालय के उच्च अधिकारियों ने वीडियो कांफ्रेंसिंग और जूम मीटिंग्स के माध्यम से राशन दुकानों को बाजार से चावल खरीदने के मौखिक आदेश दिए और फिर इस चावल की आपूर्ति की एंट्री भी दर्ज कराई।
इस घोटाले पर खाद्य अधिकारी संघ के प्रदेशाध्यक्ष आरसी गुलाटी ने कहा कि यदि खाद्य संचालनालय के अधिकारी खुद ही राशन दुकानों में चावल खरीदवाकर रखवा रहे हैं, तो इससे यह साफ हो जाता है कि घोटाले का पैमाना कितना बड़ा है। वहीं, राकेश चौबे, ‘हमर संगवारी’ के अध्यक्ष ने इस मामले की शिकायत राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, राज्यपाल छत्तीसगढ़, केंद्रीय खाद्य मंत्री, खाद्य सचिव और मुख्यमंत्री विष्णु देव साय से की है, और दोषी अधिकारियों पर एफआईआर दर्ज करने की मांग की है। जिसके बाद अब इस पूरे मामले की जांच विधानसभा की कमेटी कर रही है।
वहीं, खाद्य विभाग ने राशन दुकानों के संचालकों से स्टॉक की कमी का कारण पूछा है। कुछ दुकानदारों का कहना है कि टेबलेट व ई-पोस मशीन के माध्यम से खाद्यान्न वितरण के कारण स्टॉक का सही मिलान नहीं हो पाया। जबकि कुछ राशन दुकानों के संचालक बदल चुके हैं, जिससे भी स्टॉक का हिसाब नहीं मिल पा रहा है। खाद्य विभाग ने जांच में कमी पाए जाने पर राशन दुकानों से स्टॉक का मिलान करने और सही जानकारी जुटाने के निर्देश दिए हैं।
यह भी सामने आया है कि केंद्र सरकार की प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत छत्तीसगढ़ में राशन का आवंटन और वितरण बीते पांच वर्षों से नहीं हुआ था। जब केंद्र सरकार ने राशन आवंटन के वितरण का सत्यापन करने के लिए निर्देश दिए, तो पता चला कि 2017 के बाद से स्टॉक मिलान नहीं हुआ था। इसके बाद राज्य सरकार ने कलेक्टरों को आदेश दिया कि वे राशन दुकानों से पांच वर्षों में दिए गए खाद्यान्न का सत्यापन करें और जिम्मेदारी तय करें।