अविनाश दुबे, रायपुर | गाहेबगाहे सीएम और पीसीसी अध्यक्ष के बीच मतभेद की खबरें आती रही। कई मामलों में असहमतियों की चर्चा भी आम हो गयी। जानकारों के मुताबिक जब संगठन में नए पदाधिकारियों की नियुक्ति की गई तब सीएम भूपेश बघेल से मशविरा नहीं लिया गया। कहा तो ये भी गया कि साल 2018 के चुनाव में पार्टी के खिलाफ काम करने वालों को भी संगठन में बड़ा पद दे दिया गया। वहीं निगम-मंडल में नियुक्तियों की जानकारी प्रदेश अध्यक्ष को नहीं दी गई। इसके अलावा सत्ता के कई फैसलों में भी संगठन की राय नहीं ली गई। इससे सत्ता और संगठन के बीच दूरियां बढ़ीं और अब ये दूरियां बदलाव में तब्दील हो चुकी है और दीपक बैच को नए प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में अपना लिया गया है|
आखिर क्यों बदले गए मोहन मरकाम !
छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष मोहन मरकाम का कार्यकाल पिछले साल ही खत्म हो गया था और उनके स्थान पर किसी नए चेहरे को लाने की बात कई दिनों से कही जा रही थी। सत्ता और संगठन के बीच सामंजस्य में कमी की खबर आलाकमान को भी थी लेकिन चुनाव से पहले तालमेल बिठाकर बदलाव टालने की कोशिश की जा रही थी। लेकिन इस बीच जब मुख्यमंत्री भूपेश बघेल दिल्ली में राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे से मुलाकात कर लौटे और उन्होंने संगठन में बदलाव को लेकर बयान दिया। तब से यह माना जा रहा था की मोहन मरकाम की छुट्टी तय है। इसके बाद छत्तीसगढ़ विधानसभा के बजट सत्र में भी मोहन मरकाम ने डीएम फंड का मामला उठाकर अपनी ही सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। एक तरह से आलाकमान के पास साफ शब्दों में यह संदेश पहुंच गया कि इस वक्त सत्ता और संगठन के बीच सब कुछ ठीक नहीं है। इस वक्त मुख्यमंत्री भूपेश बघेल केवल छत्तीसगढ़ ही नहीं बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी कांग्रेस का बड़ा चेहरा बन चुके हैं। ऐसे में बघेल की हर बात मानी जाएगी या जाती रही है, कम से कम प्रदेश के संगठन के मामले में तो उनकी हां और ना ही चलेगी। और उसका परिणाम आज देखने को मिल ही गया |
दीपक बैज ही क्यों ?
दीपक बैज छत्तीसगढ़ के सबसे युवा विधायक रह चुके हैं। साल 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में मोदी लहर के दौरान जब कांग्रेस को 11 में से केवल दो सीटें ही मिली तब बस्तर की लोकसभा सीट से जीतकर दीपक बैज ने अपने कुशल प्रतिनिधित्व का लोहा मनवाया था। चुनाव से पहले बस्तर का प्रतिनिधित्व बरकरार रखने के लिए दीपक बैज को प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया है। बस्तर में विधानसभा की 12 सीटें हैं और सभी 12 सीटों में कांग्रेस के ही विधायक का काबिज हैं। इसी कारण पार्टी मोहन मरकाम को प्रदेश अध्यक्ष के पद से हटाया है ताकि बस्तर का प्रतिनिधित्व दीपक बैज कर सके और इसी सियासी नफा-नुकसान के गणित में दीपक बैज बिल्कुल फिट बैठते भी हैं। बैज भी आदिवासी चेहरा हैं,चित्रकोट से विधायक रह चुके हैं और अभी बस्तर से सांसद हैं।सबसे बड़ी बात ये की साफ-सुथरी छवि वाले दीपक बैज से कोई विवाद भी जुड़ा नहीं है और सांसद को प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी दिये जाने से किसी तरह के विरोध का सामना भी पार्टी को नहीं करना हुआ और बस्तर का सियासी समीकरण भी अब साधा जा सकता है।