अविनाश दुबे। समर्पित क्रास सेलर तो नाई ही होता है, छोटी दुकान वाला नाई जिसका वह मालिक भी होता है. क्रास सेलिंग में वह इस कदर प्रवीण और समर्पित होता है कि भले ही आप साइड कटिंग कराने क्यों न गये हों, वह पूछ ही लेता है, बल्कि आग्रह करता है, ‘साहब ! मसाज कर दें, फेसियल कर दें. करा लें ! स्किन कैसी रूखी हो गयी है. कलर करवा लीजिए. जड़ों के पास सफेदी झलकने लगी है!’ आपके बाल काले हों और आप कुछ युवा हों तो लट या कुछ बाल डिफरेण्ट कलर में कराने को लुभाता है. ब्लीच, फेसियल, मसाज जाने क्या क्या बताता है. साथ में यह बताना नहीं भूलता कि बस पन्द्रह मिनट लगेगा (जो करवाने पर पौन घण्टा तक होता है )
यह सब ऑफर वह उसे भी देता है जो दसियों बार अनसुनी कर चुका होता है या साफ मना कर चुका होता है. क्या पता, ग्यारहवीं/बारहवीं बार में कुछ करा ही ले.उसे भी ऑफर देता है जो बैठते ही बता देता है कि इतने छोटे कर दो कि दो-ढाई महीने की फुरसत हो जाये ! चम्पी तो बिना कहे कर ही देता है. इस बहाने वह अपनी खीझ निकालता है – बालों में उंगलियां डाल कर नोचता/खींचता है, पर हौले-हौले.
सर और गरदन पर मुक्कियां मारता है, गरदन मोड़ कर ऐसे चिटकाता है कि हम करें तो टूट ही जाये. यह उसकी एड ऑन सर्विस होती है, निःशुल्क.
कभी तो बैठते ही साधिकार घोषित कर देता है, ‘कटिंग, शेव और मसाज.’ अब दो तिहाई काम तो आप कराने आये ही होते हैं तो एक तिहाई को मना नहीं कर पाते. फिर आपसे दुनिया जहान की और आपको रुचने/चढ़ाने वाली बातें भी तो झलता है.नाई की दुकान पर ही ये सब मिलेगा, ब्राण्डेड, ऑफिस से सुसज्जित, स्टार कैटेगरी के और आपसे भी स्मार्ट कारीगरों वाले सलूनों पर नहीं. सच्चे क्रास सेलर तो ये नाऊ ही होते हैं. बैंकिये बेचारे तो नाहक बदनाम हैं कि वो बैलेंस पूछने आये ग्राहक को भी बीमा/म्यूचुअल फण्ड भेड़ने में लग जाते हैं और लोन के साथ तो बीमा देते ही देते हैं.