अविनाश दुबे | यूं तो हमारे चारों ओर तमाम जीव जंतु हैं लेकिन जब कभी भी जिक्र बाघ या ये कहें कि टाइगर का होता है तो जैसा उसका स्वैग है, कन्वर्सेशन अपने आप ही बेहद खास हो जाता है. वाकई टाइगर की पूरी पर्सनालिटी ही ऐसी है कि एक बार आदमी उसे देखना शुरू करे, शायद ही उसकी आंखों में थकन आए. आज हम टाइगर्स को अपने सामने देख रहे हैं इसके लिए हमें प्रोजेक्ट टाइगर को जरूर ध्यानवाद करना चाहिए. कह सकते हैं कि अगर प्रोजेक्ट टाइगर नहीं होता तो शायद भारत में इनकी संख्या में इजाफा न होता. ध्यान रहे 9 अप्रैल 2023 को प्रोजेक्ट टाइगर अपने 50 साल पूरे कर रहा है. और चूंकि इस प्रोजेक्ट के अंतर्गत टाइगर्स पर रिसर्च लगातार हो रही है. रिसर्चर्स ने टाइगर में दो नए पर्सनालिटी ट्रेट्स की खोज की है.
रिसर्चर्स का कहना है कि जिस तरह इंसानों के व्यक्तित्व के पांच आयाम होते हैं, उसी तरह जंगल में विचरण करने वाले बाघों के भी दो आयाम ऐश्वर्य (Majesty) और स्थिरता (Steadiness) होते हैं. बाघों के लिए विकसित पहले साइकोमेट्रिक परीक्षण के हिस्से के रूप में लक्षणों की पहचान की गई थी क्योंकि शोधकर्ताओं ने साइबेरियाई या अमूर बाघ का विश्लेषण किया था.
रॉयल सोसाइटी ओपन साइंस जर्नल में प्रकाशित अध्ययन में कहा गया है कि सभी बाघ एक जैसे नहीं होते हैं. यदि इस पेपर को देखें तो इसमें कहा गया है कि ‘हम यह नहीं जान सकते कि एक बाघ का चरित्र या स्वभाव दूसरे के मुकाबले कैसा होगा? लेकिन हम यह आकलन कर सकते हैं कि एक बाघ का व्यक्तित्व मानव पर्यवेक्षकों को कैसे प्रभावित करता है.
निष्कर्षों ने संकेत दिया कि ‘मेजेस्टी’ पर उच्च स्कोर करने वाले बाघ स्वस्थ पाए गए, अधिक जीवित शिकार खाते हैं, उच्च समूह की स्थिति रखते हैं, और अधिक बार संभोग करते हैं. ‘स्थिर’ बाघ ईमानदारी, मित्रता और सज्जनता में उच्च थे.
डॉ रोजालिंड आर्डेन जो शोध से जुड़ी एक लेखक हैं उन्होंने अपने एक ताजे बयान में कहा है कि, ‘हमारे शोध से पता चलता है कि बाघों को दो प्रमुख व्यक्तित्व विशेषताओं और वे प्रत्येक के लिए कैसे रेट करते हैं, के माध्यम से समझा जा सकता है. सभी बाघ एक जैसे नहीं होते हैं और, जबकि हम यह नहीं जान सकते कि एक बाघ का चरित्र या स्वभाव दूसरे पर कैसे स्ट्राइक करता है, हम यह आकलन कर सकते हैं कि एक बाघ का व्यक्तित्व मानव पर्यवेक्षकों पर कैसे स्ट्राइक करता है – और यही हमने मापा है,’
टीम ने 248 साइबेरियाई बाघों का अध्ययन किया, जिनमें से 152 बाघ उत्तर पूर्वी चीन में दुनिया के सबसे बड़े अर्ध-जंगली बाघ अभयारण्य में रहते हैं और 96 बाघों का दूसरा नमूना भी पूर्वी चीन के हैलिन शहर के एक अभयारण्य – हेंगदाओहेज़ी साइबेरियन टाइगर पार्क से लिया है.
टाइगर पर्सनालिटी क्वेश्चनायर फीडर और पशु चिकित्सकों द्वारा लिए गए थे जो प्रत्येक बाघ को अच्छी तरह से जानते थे. बात अगर सवालों की हो तो क्वेश्चनायर में 70 शब्दों की एक लिस्ट थी जो टाइगर की पर्सनालिटी को बताती थी. बताया जा रहा है कि इसी लिस्ट से मदद लेकर रिसर्चर्स द्वारा टाइगर की पर्सनालिटी जानने के लिए अंतिम निर्णय लिया गया है.
डॉक्टर रोज़ालिंड आर्डेन ने ये भी कहा कि हमारी तरह, साइबेरियाई बाघ भी इंडिविजुअल हैं. उनके स्वभाव को समझना इसलिए भी आवश्यक है क्योंकि, जैसा कि हमने देखा है, इन व्यक्तित्वों का इस लुप्तप्राय प्रजातियों के प्रजनन और फलने-फूलने की क्षमता पर असर पड़ता है.
प्रोजेक्ट टाइगर के 50 सालप्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी 9 अप्रैल को मैसूर में भारत में बाघों की आबादी के नवीनतम आंकड़े जारी करेंगे क्योंकि भारत प्रोजेक्ट टाइगर के तहत अपने संरक्षण प्रयासों के 50 वर्ष मना रहा है. 2018 की जनगणना के अनुसार, भारत 2967 बाघों की आबादी के साथ रॉयल बंगाल टाइगर के सबसे बड़े और सुरक्षित आवासों में से एक था. इसलिए नए आंकड़े क्या होंगे और प्रोजेक्ट कितना कामयाब है इस पर भी देश दुनिया की नजर होगी.